पिछले तीन साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध में दोनों देशों को नुकसान हो रहा है. जहां युद्ध क्षेत्र में सैनिक जान गवा रहे हैं, वहीं देश के अंदर भी कई समस्याएं पैदा हो गई हैं. रूस के हायर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के विश्लेषण का हवाला देते हुए, इजवेस्टिया पब्लिकेशन ने 12 मई को बताया कि 2024 तक रूसी कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 2.6 मिलियन कम रह गई, जो एक रिकॉर्ड उच्च स्तर है.

ये आंकड़ा दिखाता है कि जंग के दौरान रूस में भारी वर्कर्स की कमी हो गई है. माना जा रहा है कि इसके पीछे क्रेमलिन का यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के लिए आक्रामक तरीके से लोगों की भर्ती करना है, जिसके वजह से दूसरे क्षेत्र में लोगों की कमी आ गई है.

किस क्षेत्र में कितने वर्कर्स की कमी
रिपोर्ट मे बताया गया है कि विनिर्माण (391,000), व्यापार (347,000) और परिवहन (219,000) में सबसे ज़्यादा वर्कर्स की कमी है. इन क्षेत्रों में नियोक्ता अब एक लाख रूबल (1,200 डॉलर) मासिक से ज़्यादा वेतन दे रहे हैं, जो रूस के राष्ट्रीय औसत से 1.5 गुना ज़्यादा है.

कितना बढ़ गई कर्मियों की सैलरी
रूस में औसत मासिक सकल वेतन 2024 में 20 फीसद बढ़कर 88 हजार रूबल (लगभग 1,000 डॉलर) हो गया, जो 9.5 फीसद की आधिकारिक इंफ्लेशन के मुकाबले रिकॉर्ड पर सबसे तेज़ सालाना वेतन बढ़ोतरी को दिखाता है. कार्यबल की भागीदारी भी ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई, जिसमें 15 साल से अधिक आयु के 61 फीसद रूसी श्रम बाजार में लगे हुए हैं.

युद्ध की वजह से हो रही वर्कर्स की कमी
फरवरी 2022 में रूस की ओर से यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से यह कमी तेजी से बढ़ गई है. अपनी सैन्य रैंक को मजबूत करने के लिए, रूस ने औपचारिक भर्ती के बजाय आकर्षक अनुबंधों और आक्रामक भर्ती अभियानों पर भरोसा किया है.

राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने 15 जनवरी को कहा था कि यूक्रेन में 6 लाख रूसी सैनिक तैनात हैं. यूक्रेनी राष्ट्रपति ऑफिस के उप प्रमुख पावलो पालिसा के मुताबिक रूस 2025 में वहां अपनी सेना को 150,000 तक बढ़ाने की योजना बना रहा है.