भोपाल। मध्यप्रदेश में 20 दिसंबर से कड़ाके की ठंड का दौर आएगा, जो जनवरी तक बना रहेगा। इन्हीं 40 दिन में 20 से 22 दिन कोल्ड वेव यानी सर्द हवाओं की भी स्थिति रह सकती है। सबसे ज्यादा सर्दी उज्जैन, ग्वालियर-चंबल संभाग में रहेगी। वजह यहां बर्फीली हवाओं का सीधे आना है। दूसरे पखवाड़े में ही मावठा यानी बारिश भी हो सकती है।नवंबर में सर्दी रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। भोपाल में तो 36 साल का रिकॉर्ड टूटा है। इंदौर, उज्जैन, जबलपुर और ग्वालियर में भी पारा सामान्य से 7 डिग्री तक नीचे रहा लेकिन कड़ाके की ठंड दिसंबर में ही पड़ेगी। सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रकाश सिंह ने बताया कि इस बार ग्वालियर, उज्जैन और चंबल संभाग सबसे ज्यादा ठिठुरेंगे। यहां कोल्ड वेव यानी सर्द हवाएं भी चलेंगी।


दिसंबर में उत्तर भारत से सर्द हवाएं ज्यादा आती हैं
मौसम विभाग के अनुसार, जिस तरह मानसून के चार महीने (जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर) में से दो महीने जुलाई-अगस्त महत्वपूर्ण रहते हैं और इन्हीं में 60 प्रतिशत या इससे अधिक बारिश हो जाती है, ठीक उसी तरह दिसंबर और जनवरी में कड़ाके की ठंड पड़ती है। इन्हीं दो महीने में प्रदेश में उत्तर भारत से सर्द हवाएं ज्यादा आती हैं इसलिए टेम्परेचर में अच्छी-खासी गिरावट आती है। सर्द हवाएं भी चलती हैं। पिछले 10 साल के आंकड़े यही ट्रेंड बताते हैं। वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) के एक्टिव होने से दिसंबर में मावठा भी गिरता है। इससे दिन में भी सर्दी का असर बढ़ जाता है।


नवंबर में दूसरा पखवाड़ा ही सबसे ठंडा रहा
वर्ष 2014 से 2023 तक के ट्रेंड पर नजर डाली जाए तो भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर समेत प्रदेश के अन्य शहरों में दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में ही कड़ाके की ठंड पडऩा शुरू होती है। इन 5 बड़े शहरों में से पारे में सबसे ज्यादा गिरावट ग्वालियर में होती है। यहां पिछले 10 साल में एक बार टेम्परेचर 1.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। जबलपुर में यह 4.4 डिग्री और उज्जैन में 2.5 डिग्री तक रहा है। भोपाल और इंदौर में भी टेम्परेचर 5 डिग्री से नीचे रहा है।


ला नीना की वजह से दिसंबर में ठंड ज्यादा
मौसम वैज्ञानिक डॉ. सिंह ने बताया कि दिसंबर की शुरुआत से ला नीना की स्थिति बनना शुरू हो जाएगी। इससे ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड में ठंड जोर पकड़ेगी। रात के साथ दिन के टेम्परेचर में भी गिरावट होगी। मौसम का ट्रेंड देखें तो दिसंबर में स्ट्रॉन्ग वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आते हैं। वहीं, उत्तरी हवाएं आने से दिन-रात के तापमान में गिरावट होती है। इस बार भी यही अनुमान है।